चाहिए जानते है Credit card all information in Hindi – क्रेडिट कार्ड एक प्लास्टिक कार्ड होता है जो कार्डधारक को खरीदारी या नकद अग्रिम देने के लिए एक लाइन ऑफ क्रेडिट देता है। एक क्रेडिट कार्डधारक कार्ड जारीकर्ता को विस्तारित क्रेडिट की राशि और ब्याज और अन्य शुल्क, यदि कोई हो, का भुगतान करने के लिए सहमत होता है।
कई अलग-अलग प्रकार के क्रेडिट कार्ड उपलब्ध हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने नियम और शर्तें हैं। कुछ कार्ड में कम ब्याज दर और कोई वार्षिक शुल्क नहीं होता है, जबकि अन्य cash back या Traval points जैसे पुरस्कार प्रदान करते हैं।
Credit card all information in Hindi
चलिए क्रेडिट कार्ड से related शब्दो के बारे में detail में जानते है –
वार्षिक प्रतिशत दर (Annual Percentage Rate):
यह वह ब्याज दर है जो आपसे आपकी बकाया राशि पर वसूल की जाएगी यदि आप उन्हें हर महीने पूरा भुगतान नहीं करते हैं।
तो monthly charge तो अलग है ये वार्षिक charge है। अब आपके दिमाग में ये सवाल भी आता होंगे कि
How to calculate Annual Percentage Rate ? तो उसके लिए अलग पोस्ट बना दूंगा वो आप देख लेना।
शेष राशि(Balance):
यह कार्डधारक को दी गई क्रेडिट की कुल राशि है जिसे चुकाया नहीं गया है। मतलब आपको 10000 की credit मिली थी आपके 6000 use कर लिया उसका तो आपका balance 6000 हो गया जो आपको चुकाना है।
बैलेंस ट्रांसफर(Balance Transfer):
यह आमतौर पर कम ब्याज दर का लाभ उठाने के लिए एक क्रेडिट कार्ड की शेष राशि को दूसरे कार्ड में स्थानांतरित करने का कार्य है। यह तब होता है जब आप एक क्रेडिट कार्ड का बैलेंस दूसरे क्रेडिट कार्ड में ट्रांसफर करते हैं।
उदाहरण के लिए समझते है आपके आस 2 बैंक के credit card है एक में आपके ऊपर उधार है या कोई EMI चल रही है पर आपके पास अभी पैसे नहीं है और उधार नहीं चुकाए तो भरी interest लगेंगे। यहाँ पर में APR की बात भी कर रहा जो हो सकता है आपको ज्यादा लगे और आपके पास एक option भी है काम APR का तो तब आज balance transfer फीचर का use कर सकते है। पर में तो इस सब चीजों से दूर रहने की सलाह दूंगा।
नकद अग्रिम(Cash Advance):
यह एक प्रकार का लेन-देन है जिसमें कार्डधारक क्रेडिट कार्ड खाते से नकदी निकालता है। नकद अग्रिम आम तौर पर नियमित खरीद की तुलना में अधिक ब्याज दर के साथ आते हैं। यह तब होता है जब आप एटीएम या बैंक से नकद प्राप्त करने के लिए अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं।
क्रेडिट लिमिट(Credit Limit):
यह क्रेडिट की अधिकतम राशि है जिसे एक कार्डधारक के लिए बढ़ाया जा सकता है। यह वह अधिकतम राशि है जिसे आप एक दिन या महीने में अपने क्रेडिट कार्ड से निकाल सकते हैं।
ग्रेस पीरियड(Grace Period):
यह खरीदारी करने के बाद की वह अवधि है, जिसके दौरान बकाया राशि पर ब्याज नहीं लगता है।
आगरा आपके पास अभी credit card नहीं है या अभी अपने use नहीं किया तो शायद आप समझे नहीं होंगे। तो detail में बात करते है।
देखो अगर आप credit card से payment करते हो कही भी तो अब आपको उस amount को वापस से credit card में डालने के लिए आपको कुछ दिन दिए जाते है जिसके अंदर आप पूरा amount डाल देते हो तो अच्छा नहीं तो आप पर भरी इंटरेस्ट लगेंगे। पर उस सब से पहले आपको Grace Period दिया जाता है की अगर आप Grace Period में ही payment कर देते हो तो आपपर interest नहीं लगेंगे।
तो कह सकते है billing cycle और due date के बिच का टाइम ही Grace Period कहलाता है।
अब आपके दिमाग में ये सवाल भी आ सकता है की आखिर कितना interest लगता होंगे ?
तो हम credit card पर लगने वाले सारे interest के बारे details में बात करेंगे किसीऔर पोस्ट में।
न्यूनतम भुगतान(Minimum Payment):
यह वह न्यूनतम राशि है जिसका भुगतान खाते को अच्छी स्थिति में रखने के लिए प्रत्येक माह किया जाना चाहिए। यह न्यूनतम राशि है जो आप प्रत्येक माह अपने क्रेडिट कार्ड बिल पर भुगतान कर सकते हैं।
ये interesting टॉपिक है तो जब आप क्रेडिट कार्ड use करते है तो फिर आपको 2 option दिए जाते है credit card bill का पेमेंट करने के लिए। पहला तो फुल पेमेंट करो और बात ख़तम करो पर किसी कारण वस जैसे अभी उतने पैसे नहीं हो तो यहाँ अत है दूसरा ऑप्शन मिनिमम पेमेंट का।
मतलब आप एक मिनिमम पेमेंट कर दो अभी और बाकि का next month pay कर देना। वैसे feature अच्छा है पर चलो इसके advantage और disadvantage की बात करते है
Advantage
- एक तो इससे आपका क्रेडिट कार्ड active रहता है अगर आप ज्यादा transactions नहीं करते हो तो।
- और एक यही तो पहले आपको बता दिया की पैसे नहीं है या कम है तो वह पर भी हम न्यूनतम भुगतान use कर सकते है।
- अगर आप न्यूनतम भुगतान टाइम पर चुकाते है तो आपका credit score भी अच्छा होता है
disadvantage
- सबसे बड़ा disadvantage तो यही है की Minimum Payment ऑप्शन चुनने के बाद तो पैसे बचते है उस पर बहुत सारा इंटरेस्ट लगता है तक़रीबन 35 से 40 % .
- इससे आपपर ब्याज बढ़ता जाता है क्योकि हर month का Minimum Payment add होता जाता है उसके interest के साथ।
- आपका credit score भी ख़राब होंगे अगर ऐसा ही चलता रहे तो ,
- आपकी credit limit भी कम कर दी जाएँगी
- आप कर्ड को स्वेप भी नहीं कर पाएंगे।
पुरस्कार कार्यक्रम(Rewards Program):
कुछ क्रेडिट कार्ड कार्ड का उपयोग करने के लिए पुरस्कार प्रदान करते हैं, जैसे कैश बैक या यात्रा points।
छूट की अवधि:
यह खरीदारी करने के बाद की वह समयावधि होती है जब आपको ब्याज वसूल किए जाने से पहले अपने बिल का पूरा भुगतान करना होता है।
ब्याज का भुगतान करने से बचने के लिए, आपको अनुग्रह अवधि समाप्त होने से पहले अपनी पूरी शेष राशि का भुगतान करना होगा। अन्यथा, कोई भी बकाया राशि ब्याज शुल्क के अधीन होगी।
किसी के लिए आवेदन करने से पहले क्रेडिट कार्ड से जुड़ी सभी शर्तों को समझना महत्वपूर्ण है। यह आपको रास्ते में किसी भी आश्चर्य से बचने में मदद करेगा।
क्रेडिट कार्ड ड्यू डेट(Credit card due date)
ये थोड़ा इम्पोर्टेन्ट है तो अच्छे से समझना। क्रेडिट कार्ड के बिल को भरने का आखरी डेट को ही क्रेडिट कार्ड ड्यू डेट बोलेंगे
चलो मन लो आपका क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट का डेट किसी month के 5 तारीख है जैसे 5 अप्रैल को आपके क्रेडिट कार्ड का बिलिंग का स्टेटमेंट जेनेरेट होता है मतलब पिछले 4 मार्च से 4 अप्रैल का बिल 5 अप्रैल को जेनरेट होता है।
तो यहाँ तक समझ आ गया होंगे तो अब ये 30 दिन में जो भी अपने ट्रांसेक्शन किये है वो सब इसी स्टेटमेंट में दिखेंगे। अब यहाँ से आपको कुछ दिन मिलेंगे जिनमे आपको क्रेडिट कार्ड का बिल भरना होंगे वो 15 से 25 दिन भी हो सकते है वो आपके क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता bank के ऊपर है और आप कोनसा क्रेडिट कार्ड लिए हुए हो उस पर भी डिपेंड करेंगे।
चलो हम मान लेते है 20 दिन मिलेंगे आपको बिल पटाने के लिए तो पिछले 30 दिन और अभी के 20 दिन टोटल 50 दिन हो गए।
तो आपको इन 50 दिनों में कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेंगे और न ही ब्याज भी नहीं लगेंगे। पर इसके बाद मतलब 50 दिन बाद आपको सारे चार्ज लगने लगेंगे।
आप अगर Different Types Of Credit Cards In India In Hindi के बारे में जानना चाहते हो तो ये पोस्ट जरूर पड़े। डिटेल में बताया है की कितने टाइप के क्रेडिट कार्ड है और उनका क्या उपयोग है।